May 17, 2024

CNI News

– ताजा हिंदी समाचार –

शिशुओं को सेहतमंद बनाने के लिए खास देखभाल की जरूरत

मुरादाबाद। आमतौर पर ज्यादातर  घरों में यही देखने को मिलता है कि जब कोई महिला मां बनने वाली होती है तो घर के सभी लोग उसका पूरा ख्याल रखते हैं। गर्भवती  के खानपान से लेकर चलने-फिरने तक, उसकी नियमित स्वास्थ्य जाँच और हर चीज का पूरा ध्यान रखा जाता है। यह सब इसलिए होता है ताकि गर्भ में पल रहा बच्चा स्वस्थ रहे, बीमारियों से बचा रहे। स्वास्थ्य विभाग की आशा और आईसीडीएस विभाग की आंगनबाड़ी  कार्यकर्ताओं द्वारा अपने कार्यक्षेत्र में यह जानकारी दी जाती है कि माताओं को शिशुओं  की किस तरह से देखभाल करनी चाहिए। नवजात शिशु की देखभाल करना उन माताओं के लिए एक बड़ी  चुनौती  होती है जो पहली बार मां बनती हैं और उनके घर में बड़ा-बुजुर्ग नहीं होने से नवजात की देखभाल ठीक तरह से नहीं हो पाती है । नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चिड़ियाटोला चाऊ की बस्ती की *प्रभारी चिकित्सा अधिकारी महिला रोग विशेषज्ञ डॉ .अर्चना अग्रवाल* ने बताया कि पहली बार माता-पिता बनने वाले जोड़ों के लिए अपने नवजात शिशु के साथ शुरूआती कुछ महीने काफी अस्त-व्यस्त हो सकते हैं।  नवजात शिशु की देखभाल के बारे में हर तरह की सलाह मिलेगी और उनमें से कुछ एक दूसरे के विपरीत भी होंगी। नवजात शिशु की देखभाल के संबंध में किस सलाह को मानना चाहिए यह तय करना दुविधापूर्ण हो सकता है। डॉ.अर्चना ने बताया कि बच्चे को समय पर स्तनपान करवाना बहुत जरूरी है। एक नवजात शिशु को हर दो से तीन घंटे में स्तनपान करवाया जाना चाहिए, जिसका मतलब है कि आपको 24 घंटों में उसे 8-12 बार स्तनपान कराने की आवश्यकता होती है। शिशु को जन्म के बाद पहले छह महीनों तक केवल माँ का दूध ही पिलाना चाहिए। माँ के दूध में महत्वपूर्ण पोषक तत्व और एंटीबॉडी होते हैं जो बच्चे के स्वस्थ रहने और विकास के लिए आवश्यक होते हैं। शिशु को कम से कम 10 मिनट तक  स्तनपान कराएं। उन्होंने बताया कि शिशु को दूध पिलाने के बाद उसे डकार दिलाना जरूरी होता है। शिशु दूध पीते समय हवा निगल लेते हैं, जिससे उनके पेट में गैस हो जाती है और यह पेट के दर्द का कारण बनता है। डकार दिलाने से यह अतिरिक्त हवा को बाहर निकालता है, इस प्रकार पाचन में सहायता करता है और दूध उलटने और पेट के दर्द को भी रोकता है। शिशु को धीरे से एक हाथ से अपने सीने से लगा लें। उसकी ठोड़ी आपके कंधे पर टिकी होनी चाहिए। अपने दूसरे हाथ से उसकी पीठ को बहुत धीरे से थपथपाएं जब तक वह डकार न  ले। आप अपने बच्चे के सिर और गर्दन को एक हाथ से सहारा  देते हुए उसे पकड़ रहे हैं। इसका कारण यह है कि उसकी गर्दन की मांसपेशियां अभी तक स्वतंत्र रूप से सिर को संभालने के लिए पर्याप्त रूप से मजबूत नहीं हैं। रीढ़ की हड्डी अभी भी बढ़ रही है और मजबूत हो रही है। शिशु की गर्दन केवल 3 महीने की उम्र के बाद अपने दम पर सिर का वजन संभालने में सक्षम होगी। इसलिए नवजात शिशु की देखभाल करते समय उसके सिर और गर्दन को सहारा देने पर विशेष ध्यान दें।