May 17, 2024

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गुरु पूर्णिमा का पर्व – कब, क्यों, कैसे?

(प0 नरेन्द्र चतुर्वेदी (विश्व आध्यात्मिक ज्योतिषी -स्वर्ण पदक ),संस्थापक एवम राष्ट्रीय अध्यक्ष-उपाय द ब्राइट डेस्टिनी-दिल्ली मो-9811035358-भारत – द्वारा महत्वपूर्ण एवम वैज्ञानिक जानकारी :–)

विश्व ज्योतिषी पंडित नरेन्द्र चतुर्वेदी ने बताया कि इस वर्ष पंचांग के अनुसार, गुरु पूर्णिमा 12 जुलाई को रात्रि में 2 बजकर 35 मिनट से शुरू हो रही है. इसलिए उदया तिथि में 13 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा ।गुरु पूर्णिमा का स्नान पूर्णिमा तिथि के प्रारंभ होते ही शुरू हो जाएगा । गुरु पूर्णिमा के स्नान – दान का उत्तम शुभ मुहूर्त सूर्योदय से ही शुरू हो जाएगा । पूर्णिमा तिथि 13 जुलाई को रात्रि के 12:06 बजे तक है. इसके उपरांत सावन का प्रवेश हो जाएगा ।
हिंदू धर्म में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान माना गया है। शास्त्रों में गुरु को भगवान के ऊपर का दर्जा दिया गया है। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा का विशेष महत्व होता है। 
कैसे करें गुरु की उपासना?
अगर आपके गुरु जीवित है और पास में है,नही तो उनके स्थान पर जाकर -गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु को उच्च आसन पर बैठाएं। उनके चरण जल से धोये और पोंछे। फिर उनके चरणों में पीले या सफेद पुष्प अर्पित करें। इसके बाद उन्हें श्वेत या पीले वस्त्र दें।उन्हें फल, मिठाई दक्षिणा अर्पित करें। इसके बाद गुरु से अपना दायित्व स्वीकार करने की प्रार्थना करें। गुरु जो आदेश करें उसका मन- कर्म व वचन सहित निष्ठा से पालन करें।गुरु को प्रशन्न करने की पूर्ण कोशिश करें।ऐसा करने से गुरु की कृपा और पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।
गुरु पूर्णिमा मंत्र :—
ओम गुरुभ्यो नमः।ओम परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः।ओम वेदाहि गुरु देवाय विद्यहे परम गुरुवे धीमहि तन्नोः प्रचोदयात्ओ।म गुं गुरुभ्यो नमः।
इस दिन इन मंत्रों का उच्च और साफ स्थान में जाप करना चाहिए, इससे वहुत लाभ मिलता है।
—-इस वर्ष गुरु पूर्णिमा पर ग्रह नक्षत्रों की युति के हिसाब से 4 राजयोग का निर्माण हो रहा है। पंचांग के अनुसार, इस गुरु पूर्णिमा के दिन मंगल, बुध, गुरु और शनि की स्थिति राजयोग बना रही है । इसके अलावा कई सालों बाद गुरु पूर्णिमा के दिन सूर्य-बुध की युति से बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है।
यह जान लेना जरुरी हो जाता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए:—
—– ज्योतिषाचार्य प० नरेंद्र कहते हैं कि गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु के आशीर्वाद से धन- संपत्ति , सुख-शांति और वैभव का वरदान पाया जा सकता है। इस साल गुरु पूर्णिमा पर– रुचक, भद्र, हंस और शश नाम के चार विशेष योग इस बार गुरु पूर्णिमा को खास बना रहे हैं। इडलिये इनका लाभ उठाना चाहिए।
गुरु पूर्णिमा पर क्या करें?:—-
अपने गुरु का ध्यान करें और गुरु मंत्र का जाप करें ,जिन्होंने अभी तक अपना गुरु नहीं बनाया है वो भक्त इस वर्ष किसी योग्य सिद्ध – साधक (जिस के ऊपर आपका विश्वास हो) को अपना गुरु बनाएं।जिन्हें गुरु नही मिला है, वे केवल इस वर्ष भगवान शिव जी को गुरु मानते हुए उनका ध्यान कर पंचाक्षर मंत्र का जप करें।वाद में गुरु की खोज करें। जिन साधनों से ज्ञान मिलता है उनकी पूजा करनी चाहिए| गुरु के उपदेश का पालन करना चाहिए|
कौन हो सकता है आपका गुरु? :—-
सामान्यतः हम लोग शिक्षा प्रदान करने वाले को ही गुरु समझते हैं, लेकिन वास्तव में ज्ञान देने वाला शिक्षक बहुत आंशिक अर्थों में गुरु होता है।गुरु होने की तमाम शर्तें बताई गई हैं जिसमें 13 शर्तें प्रमुख हैं. शांत, दान्त, कुलीन,विनीत, शुद्धवेषवाह, शुद्धाचारी, सुप्रतिष्ठित, शुचिर्दक्ष, सुबुद्धि, आश्रमी, ध्याननिष्ठ, तंत्र-मंत्र विशारद और निग्रह-अनुग्रह। गुरु की प्राप्ति होने के बाद प्रयास करना चाहिए कि उसके दिशा-निर्देशों का पालन किया जाए।
सच्चे शिष्य को गुरु मिल ही जाते हैं—-
अगर आप गुरु की ओर एक कदम बढ़ाते हैं, तो गुरु आपकी ओर सौ कदम बढ़ाते हैं। लेकिन वह पहला कदम आपको यानी शिष्य को ही उठाना पड़ता है। अपने गुरु के जितने निकट आप जाते जाएंगे, उतने ही आप खिलते चले जाएंगे।अध्यात्मिक उन्नति के साथ सांसारिक इच्छाएं भी पूरी होने लग जातीहैं।
जब हमें किसी चीज का ज्ञान होता है, तब चीजों को संभालना आसान हो जाता है। जब हम जिंदगी के बारे में थोड़ा बहुत समझ लेते हैं या जान लेते हैं, तो चीजों को संभालना आसान हो जाता है। जब एक शिष्य के जीवन में गुरु का आगमन होता है, तब उसकी परम सत्य के बारे में भी सजगता बढ़ जाती है। गुरु आपको अच्छे से मथते हैं, ताकि आपका सर्वांगीण विकास हो सके और आप दिव्यता के साथ एक हो सकें। गुरु तपती धूप में या भयंकर तूफान में घिरे होने पर उस कुटिया की तरह हैं, जिसके भीतर जाकर आपको सुकून अवश्य प्राप्त होगा।

गुरु ज्ञान का खजाना लिए हुए कोई व्यक्ति नहीं, बल्कि स्वयं प्रकाश की तरह हैं। साधक के लिए गुरु जीवन शक्ति के समान हैं। जैसे एक बीज पहले एक कली और फिर फूल बनता है, ठीक वैसे ही गुरु भी हमें बड़ी सुंदरता के साथ अज्ञान से ज्ञान की ओर बढ़ाते हैं। गुरु का जीवन में होना हम में सुरक्षा के भाव को जगाता है। गुरु एक तत्त्व हैं, हमें गुरु को शारीरिक स्तर पर ही महसूस नहीं करना चाहिए। आप सभी का कल्याण हो। गुरु पूर्णिमा पर्व पर मेरी ऐसी कामना तथा आशीर्वाद ।
गुरु पूर्णिमा पर्व की आप सभी को वहुत वहुत शुभकामनाएं।

-जय श्री कृष्ण —