May 17, 2024

CNI News

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पत्रकारों का मानसिक शोषण करने में अग्रणीय भूमिका निभाते होनहार विभागीय कर्मचारी

  • अगर है सूचना विभाग की फेहरिस्त में आना 
  • तो बोतल के साथ चखना जरूर लाना। 

बरेली। जी हाँ सुनने मे ये थोडा अटपटा सा जरुर लग रहा है परन्तु प्रशासनिक समाचारो को अखबारी बन्धुओ तक पहुंचाकर उसे जन जन तक पहुंचाने के लिये प्रत्येक जिले मे शासन स्तर से गठित सूचना विभाग मे पत्रकारों को अपना नाम दर्ज कराने के लिये विभागीय कर्मचारियों का मुंह मीठा कराना – उन्हें पार्टी देना अब एक आम बात सी हो गई है। बरेली से एक अखबार के साथी ने नाम न छापने की शर्त पर हमारे संवाददाता को बताया कि बीते दिनों जब वह बरेली के सूचना विभाग के कार्यालय मे अपने समाचारपत्र का हवाला देकर अपना नाम सूचना विभाग के व्हाटसएप सूचना ग्रुप में दर्ज कराने पहुंचे तो विभागीय कर्मचारियों ने उनसे बोतल की फरमाइश तक कर डाली यहां तक की बोतल न देने पर उनका नाम को विभाग द्वारा संचालित ग्रुप मे दर्ज भी नही‌ किया गया।जिसकी वजह से वह सरकारी योजनाओं व प्रशासनिक समाचारो का ससमय संकलन व प्रचार प्रसार नियमित रुप से नही कर पाते।

सूचना विभाग ‌मे पत्रकार के नाम पर लगती है प्रशासनिक मोहर

जिला स्तर पर मौजूद सूचना विभाग कार्यालय की सूची मे‌ दर्ज पत्रकार का नाम उसके समाचारपत्र ‌के साथ ही पत्रकार को प्रशासन की नजरो मे वैध करार करता है।

यहां दर्ज पत्रकारो को विभाग द्वारा सम्पूर्ण जिले मे प्रशासन द्वारा किये गये कार्यो को समाचारपत्रो मे प्रकाशन हेतु नियमित विभिन्न‌ समाचारपत्रों के प्रतिनिधियों को भेजा जाता है।

हालाकि जिला सूचना निदेशक सुहेल वाहिद की माने तो इस सबके लिये समाचार की नियमित ‌कापी सूचना विभाग कार्यालय मे आना अनिवार्य है।

मतलब यदि किसी समाचारपत्र की नियमित कापी विभाग मे प्रतिदिन नही आती है तो उस समाचार पत्र का प्रतिनिधि विभागीय संचालित व्हाटसएप सूचना ग्रुप की सूची मे अपना नाम दर्ज कराने का अधिकारी नही होगा।

खुद को पत्रकार बताने वाले तमाम पत्रकारों का दर्ज है विभाग की सूची मे नाम

विभागीय लापरवाही का आलम ये है कि विभाग द्वारा जारी सूची मे तमाम ऐसे पत्रकारों का नाम भी दर्ज है जिनका वर्तमान मे पत्रकारिता से कोई वास्ता ही नहीहै।

हकीकत जाने तो तमाम ऐसे वैब पोर्टलो के साथ न‌ जाने‌ कितने ही ऐसे दैनिक समाचार पत्र हैं जिनका प्रकाशन वर्षों से हो ही नही रहा। हां विभाग की सूची मे‌ दर्ज ऐसे समाचारपत्रों के प्रतिनिधि विभाग की इस लापरवाही की वजह से अपना उल्लू जरुर सीधा कर रहे है।

इसके विपरीत विभागीय कर्मचारियों के लालच की वजह से तमाम ऐसे दैनिक समाचारपत्रों के प्रतिनिधि भी है जिनका समाचारपत्र नियमित प्रसारित होने के बाद भी वे अपना नाम विभाग की सूची मे बोतल और चखना न दे पाने के कारण अभी तक अपना नाम दर्ज कराने मे असमर्थ रहे है। पत्रकारों के ग्रामीण अंचलीय संगठन ने इस संबंध में उच्च स्तर तक अपनी बात पहुंचाने का निर्णय लिया है। सर्व सम्मति से इस संबंध में तय किया कि चुनाव परिणामोपरांत विभागीय भ्रष्टता की शिकायत मुख्यमंत्री से कर न्याय की मांग की जाएगी।