May 17, 2024

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बाउंसरों को मिलेगा देश की पहली महिला बाउंसर से जुड़ने का मौका

देश की पहली महिला बाउंसर बना रही स्वयं की बाउंसर एजेंसी

शिवशंकर शर्मा

ऊंचाइयों को छूने वाले कभी परिस्थितियों की परवाह नहीं करते इसका जीता जागता उदाहरण देश में हमारे सामने पहली महिला बाउंसर मेहरूनिशा हैं जो एक साधारण मुस्लिम परिवार में जन्मी, जिनको प्राथमिक शिक्षा के समय से ही कुछ अलग करने की प्रेरणा मिली। पूरी तल्लीनता, जज्बा, जुनून के साथ उन्होंने देश में एक ऐसी मिसाल कायम की है जो आज पूरे देश की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बनी हुईं हैं। देश में पहली महिला बाउंसर का खिताब अपने नाम कर लिया।

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिला में 1986 में एक साधारण मुस्लिम परिवार में जन्मी मेहरूनिशा सात बहन भाइयों में से एक हैं। प्राथमिक शिक्षा सहारनपुर से करने के बाद उन्होंने एमए तक की पढ़ाई चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी, मुन्नालाल खेमका गर्ल्स कॉलेज से पूरी की है। उन्होंने बताया कि शुरू से ही उन्हें इवेंट के कार्यक्रम पसंद थे और इस दौरान सेलिब्रिटी के साथ जो पुरूष बाउंसर हुआ करते थे उस समय महिला बाउंसर नाम की कोई चीज नहीं होती थी तभी से उनके दिमाग में आया कि जब पुरुष वाऊंसर हो सकते हैं तो महिला बाउंसर क्यों नहीं हो सकती? इसके लिए वह तैयारी में जुट गई। शुरू से ही जिम जाना उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया । सन 2003 वह प्रोफेशनल तरीके से इस फील्ड में आ गईं। उस समय उन्हें ₹300 प्रतिदिन के हिसाब से मेहनताना मिलता था उसके बाद वह अपने काम के प्रति दिनोंदिन गंभीर होती चली गई फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

मेहरूनिशा बताती हैं कि उन्होंने सबसे पहले एमवे कंपनी के लिए काम किया उसके बाद इंडियन आईडल 2005 में वह महिला बाउंसर के रूप में रहीं। उसके बाद वह टॉप ग्रुप, ग्रुप फ़ॉर, एसआईएस, E-24 जैसी कंपनियों के साथ काम कर चुकी हैं। वह बताती हैं कि प्रियंका चोपड़ा उदित नारायण,पंकज उधास, सोनू निगम, विद्या बालन जैसी हस्तियों के साथ भी वह महिला बाउंसर के रूप में सेवाएं दे चुकी हैं। मूवी ‘मर्दानी’ के समय उन्हें रानी मुखर्जी द्वारा सम्मानित किया जा चुका है इसके अलावा चार अवार्ड भी ले चुकी हैं।

उन्होंने बताया कि अब देश में महिला बाउंसरों को 20 से ₹30000 महीना के साथ रहना खाना मिलता है जिसके लिए उन्हें 8 घंटे काम करना होता है । इसमें दिन रात कुछ भी नहीं देखना होता है जब काम होता है तभी मौजूद रहना पड़ता है। आज वह अपने काम से संतुष्ट हैं। कभी-कभी क्लब आदि में अमर्यादित हो जाने वाली लड़कियों-महिलाओं को संभालने में दिक्कत होती है लेकिन वह इनकी ड्यूटी का एक हिस्सा होता है। मेहरूनिशा आज देश की जानी-मानी महिला बाउंसर है अब वह अपने कार्य को विस्तार देने में लगी हैं और वह स्वयं की बाउंसर एजेंसी बनाकर महिलाओं की सुरक्षा के लिए तत्पर हैं। उन्होंने बताया कि जल्द ही वह अन्य महिला बाउंसरों को काम देना शुरू कर रहीं हैं । वह देश की सैकडों महिला वाऊंसर को काम देना चाहती हैं जिसके लिए वह दिन-रात मेहनत कर रही हैं।