May 17, 2024

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भूले से भी आएं आत्महत्या का विचार तो डॉक्टर से ले सलाह

17 जून 2020, शाहजहाँपुर
हमारे आस पास हमेशा एक जैसी  परिस्थितियां नहीं होती हैं। कभी कुछ जिंदगी में बहुत अच्छा चल रहा होता है और कभी वह दौर आ जाता है जिसमें हमें नकारात्मक विचार घेर लेते हैं और कभी-कभी इसी का नतीजा होता है कि इंसान हर तरफ से निराश हो जाता है और उसे सिर्फ आत्महत्या ही एक आखरी रास्ता दिखाई देता है पर वास्तविकता यह है कि अपनी जिंदगी को खत्म करना और अपनों से दूर जाना सबसे ज्यादा गलत साबित होता है। शाहजहाँपुर  के मानसिक रोग विभाग द्वारा हर माह लगभग 30- 35 लोगो की काउंसिलिंग की जा रही है तथा काउंसलिंग के बाद वह बिल्कुल ठीक हो जाते हैं।

30 से 35 मरीजों में आ रहे होते हैं आत्महत्या के विचार

मानसिक रोग विभाग के जिला साईकेट्रिस्ट सोशल वर्कर्स नंदिनी सक्सेना ने बताया कि डिप्रेशन के अलग-अलग कारण होते हैं । मुख्य रूप से देखा जाए तो इन कारणों में घरेलू अनबन, करियर की टेंशन, पढ़ाई की टेंशन, सक्सेस ना मिलने की टेंशन, लवलाइफ में उथल-पुथल, ऑफिस का दबाव और कभी-कभी अपने बारे में गलत अफवाह और कानाफूसी के चलते भी इंसान डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। कभी-कभी इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं जो केवल पीड़ित इंसान ही बता सकता है। उन्होंने बताया कोरोना काल के इस 2 माह में ऐसे मरीजों की काउंसिलिंग की गयी है जिनके मन में आत्महत्या करने के विचार बहुत तेजी से आ रहे थे  जिसके कारण  कुछ भी बुरा हो सकता था लेकिन काउंसिलिंग के माध्यम से ऐसे पीड़ित व्यक्तियों को ठीक किया जा चुका है |

मार्च से अब तक नींद ना आना, एंजाइटी, डिप्रेशन से जुड़े मरीजों की हो चुकी है काउंसलिंग

नंदिनी सक्सेना ने बताया कोरोना काल के दौरान जब एक व्यक्ति क्रोना संक्रमित पाया गया तो वह कोरना के भय से काफी डरा हुआ था बार बार समझाने पर भी वह चिकित्सक द्वारा दी गयी सलाह को मानने से इंकार  कर रहे थे लेकिन चिकित्सीय उपचार के साथ साथ मानसिक रोग विभाग द्वारा काउंसिलिंग करने से काफी फायदा हुआ | उन्होंने बताया कि डिप्रेशन में जाने के बाद इंसान अकेले रहना शुरू कर देता है और उसे लोगों से अपनी समस्याओं को बताने में भी हिचकिचाहट होने लगती है। वहीं संवेदनहीनता के कारण कुछ लोग  इनकी बातें सुनना नहीं चाहते हैं या इनकी बातों का मजाक उड़ाते हैं । जब आस-पास या करीबी अपने साथ रहने वाले की परेशानी और स्थिति को समझ ही नहीं पाते और इंसान इस वजह से भी ज्यादा टूट जाता है। यह बातें धीरे-धीरे दिमाग पर इतनी हावी हो जाती हैं कि डिप्रेशन से जूझ रहे व्यक्ति को इस दुनिया में जीना अच्छा नहीं लगता है। गंभीर डिप्रेशन के 95% मरीजों को काउंसलिंग और दवा से बहुत फायदा होता है।

अच्छे दोस्तों से करे बात

नंदिनी सक्सेना ने बताया कि आप डिप्रेशन से जूझ रहे हैं तो अपने अच्छे दोस्तों से मिले या उन्हें फोन करके  उनसे अपने मन की बात कहे। अपने परिवार के साथ समय बताएं , बच्चों से बातें करें,  समाज में  लोगों की मदद करें  और  प्रकृति को महसूस करके  पार्क में समय बिताने की कोशिश करें जिससे  मन की नकारात्मकता खत्म होती है ।

कैसे पहचाने लक्षण

अगर आपके घर का कोई सदस्य अचानक से ज्यादा अकेले रहने लगे, तनाव में रहने लगे या छोटी-छोटी बातों पर उसको गुस्सा आए, वह व्यक्ति बहुत अधिक सोने लगे यहां बहुत कम सोए , कभी वह खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करें तो समझ जाना चाहिए कि वह गंभीर डिप्रेशन का शिकार हो रहा है ऐसे में तुरंत ही मनोचिकित्सक के पास जाकर बरेली जिला जिला अस्पताल में चल रही क्राइसिस और मेंटल हेल्पलाइन में  बात करके डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

डिस्टिक मेंटल काउंसिलिंग हेल्पलाइन–7275254615