May 17, 2024

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संस्कृति विवि में ब्रज के साहित्य और कला पर हुआ गहन मंथन

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय परिवार, ऑडियो प्लेटफॉर्म गाथा और पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित ‘बृज साहित्योत्सव’ उद्घाटन समारोह के पश्चात अनेक सत्र आयोजित हुए जिसमें ब्रज साहित्य और उसकी यात्रा, रूबरू, फेस टू फेस, दास्ताना ए राधाकृष्ण में जहां वक्ताओं से गंभीर सवाल-जवाब हुए वहीं चुटीले व्यग्य और ब्रज की सामाजिकता पर भी बात हुई। इन अनूठे आयोजनों को मौजूद हजारों श्रोताओं ने तालियों के समवेत स्वर से जमकर सराहा।
पहले सत्र में सुप्रसिद्ध हास्य कवि, रचनाकार, टीवी कलाकार पद्मश्री डॉ अशोक चक्रधर ने संवाद में कई चुटकुले व्यंगों के माध्यम से ब्रजभाषा की संस्कृति और ब्रज की सामाजिकता पर चर्चा की। उनके पूरे संवाद के दौरान उपस्थित श्रोता और छात्र कहीं लोट पोट होते रहे तो कहीं गंभीर चिंतन करने पर मजबूर होते रहे। उन्होंने आर्टिफिसिशल इंटेलिजेंस के हिंदी भाषा के विकास और प्रसार में उपयोगिता पर चर्चा की। ब्रज भाषा में मेट्रो में किस तरह अनाउंसमेंट होगा, इसको जब सुनाया तो लोगों नए जमकर ठहाके लगाए। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि आशु कवि बनने के लिए शब्द भण्डार और तुकों का खेल महत्वपूर्ण होता है। बात तुक वाली हो बेतुकी न हो। अन्य प्रश्नों के उत्तर में कहां कि हर शख्स जन्म से ही कलाकार होता है हर एक शख्स के पास अपनी अलग प्रतिभा होती है। कल्पनाशील बनिए लोगों को अच्छे से सुनिए सही दिशा को तलाश कीजिए।
स्वागत वक्तव्य में गाथा के सह संस्थापक और निदेशक अमित तिवारी ने बताया कि गाथा एक ऐसा ऑडियो प्लेटफॉर्म है जो संपूर्ण भारतीय साहित्य को ऑडियो में कन्वर्ट करके आम जनता तक पहुंचाना चाहता है ताकि लोगों की साहित्य के प्रति पहुंच भी बढ़े और उनका रुझान भी बढ़े। गाथा की निदेशक और सह संस्थापक पूजा श्रीवस्तव ने बताया कि गाथा अगले वर्ष तक हिंदी के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रीय भाषा के साहित्य पर कार्य करने के लिए कार्य योजना बना रहा है।
अगले में प्रोफेसर शंभू नाथ तिवारी और और प्रोफेसर कृष्ण चंद्र गोस्वामी ने चर्चा करते हुए ब्रजभाषा की साहित्यिकता और ब्रजभाषा के इतिहास पर विस्तृत प्रकाश डाला। इसके बाद आज के दौर के सर्वाधिक वायरल और सर्वाधिक चर्चित कवि गीत चतुर्वेदी से अल्पना सुहासिनी ने चर्चा की। गीत चतुर्वेदी के चुटीले व्यंग्य और उनकी चर्चा की शैली का बच्चों ने बहुत आनंद लिया। उन्होंने यह भी कहा कि जीवन में प्रेम पूरक की तरह होना चाहिए प्रेम के बिना जीवन के अस्तित्व की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। इसके उपरांत सुप्रसिद्ध दास्तानगो फौजिया ने राधा और कृष्ण की कहानी को अपने सहयोगियों के साथ बड़े मनोरंजक माध्यम से प्रस्तुत किया। सभी लोगों ने इस कार्यक्रम की भरपूर सराहना की।

संस्कृति विवि के मंच ने कवियों ने रचा कवित्त का संसार

मथुरा। श्याम सुंदर अकिंचन के प्रेम पर मुक्तक और गीत बहुत सराहे गए। डॉ राजीव राज ने अपने गीतों से ऐसा जादुई समा बांधा कि हर कोई वाह वाह कर उठा। सुप्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय कवि सुरेश अवस्थी जी ने हास्य व्यंग्य की कविताओं के माध्यम से सामाजिक अवस्थाओं पर चुटीले व्यंग्य किए। जाने माने अंतर्राष्ट्रीय शायर अजहर इकबाल ने जैसे ही पढ़ा कि, दया अगर लिखने बैठू तो होते हैं अनुवादित राम। रावण को भी नमन किया ऐसे थे मर्यादित राम। इस पर तो पूरे पंडाल में लगातार तालियां बजती रही। कवि सम्मेलन का संचालन शशिकांत यादव ने किया।
संगीत और नृत्य पर विद्यार्थी जमकर झूमे
बीकानेर राजस्थान से आए जुड़वा भाइयों अमित गोस्वामी और असित गोस्वामी की जोड़ी ने सरोद और सितार की अपने द्वारा विकसित की गई अनूठी शैली का प्रदर्शन किया। उनकी संगीत मय प्रस्तुति से सभी मंत्रमुग्ध होकर झूमने लगे।
इसके बाद मुंबई से आए बैंड डिवाइन विलयन के साथ जाने-माने फ्लेमिंको आर्टिस्ट कुणाल ओम तावरी, कत्थक नृत्यांगना निधि प्रभु गायिका विनती सिंह, गायक चित्रांशु श्रीवास्तव ने अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से माहौल संगीतमय कर दिया। सभी दर्शक देर तक गीतों पर नाचते झूमते रहे।
जब अनु कपूर ने स्टेज पर ठुमके लगाए
इसके उपरांत अंतिम प्रस्तुति के रूप में जाने माने अभिनेता, निर्देशक और आरजे अनु कपूर जी से गाथा के कविता प्रकोष्ठ की निदेशक डॉ भावना तिवारी ने वार्ता की। चर्चा के साथ साथ अनु कपूर जी ने अपनी सुरीली आवाज में संगीतमय प्रस्तुति देकर सभी को दीवाना बना दिया। देर रात तक श्रोता हंसते झूमते गाते रहे। उन्होंने कुछ गीतों को गाते हुए मंच पर जमकर ठुमके लगाए और विद्यार्थियों को दीवाना बना दिया।
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ सचिन गुप्ता ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित कर कार्यक्रम का समापन किया। कार्यक्रम का संचालन उन्नाव से आए विश्वनाथ तिवारी, संस्कृति ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल की वरिष्ठ प्रबंधक अनुजा गुप्ता और आरजे जय ने किया। मंच पर डा.वाधवा, डा. राजश्री, डा. अनुभव सोनी, प्राची आदि ने सहयोग दिया।

ब्रज की विभूतियों का सम्मान
ब्रज साहित्योत्सव के मंच से ब्रज की विभूतियों पद्मश्री मोहन स्वरूप भाटिया, पद्मश्री कृष्ण कन्हाई, ब्रज लोक कला और शिल्पकला के संग्रहालय के संस्थापक डा. उमेश शर्मा, ख्याति प्राप्त हिंदी(ब्रज) भाषा के कवि डा.रमाशंकर पांडेय, ब्रज भाषा साहित्य और कला के विद्वान डा. भागवत नागिया, डा. सहदेव चतुर्वेदी, डा. श्रीमती सीमा मोरवाल प्रेम बाबू प्रेम का सम्मान किया गया। इन सभी विद्वानों का सम्मान संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता ने ब्रज की परंपराओं के अनुरूप शाल ओढ़ाकर और स्मृति चिह्न देकर किया। सभी विद्वानों ने संक्षिप्त संबोधन से अपनी विद्वता का संदेश प्रेषित किया।