May 17, 2024

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जमाने को नहीं मालूम चौधरी चरण सिंह के अचानक प्रधानमंत्री बनने का राज….

मथुरा। चौधरी चरण सिंह वर्ष 1979 में 28 जुलाई (आज के दिन ) एक संत के आशीर्वाद से अचानक प्रधानमंत्री बने थे। उन पर हनुमान जी की बृहद कृपा बरस गयी थी जबकि वह कभी किसी मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करने नहीं गये थे। उनकी हिंदू देवी-देवताओं में श्रद्धा नहीं थी। वह नास्तिक भी नहीं थे। वह आर्य समाज में विश्वास रखते थे। उनके घर सदैव हवन होता था।
चौधरी साहब के आज भी लाखों अनुयाई हैं। मैं उनके बारे में जो बताने जा रहा हूं, यह बात न किसी किताब में है और न कभी किसी अखबार में छपी। यह उनके किसी अनुयाई की जानकारी में भी नहीं है। बेटे अजित सिंह को भी शायद मालूम न हो।

मैंने उनके प्रधानमंत्री बनने के ‘राज’ को राजनीतिक गलियारों से पता नहीं किया है बल्कि ब्रज के महान संत नीम करोरी बाबा के शिष्य परिकर से मालूम किया है।
संत नीम करोरी बाबा के शिष्य आज भी देश-विदेश में है। अमेरिका में भी एक आश्रम है। नीम करोरी बाबा को हनुमान जी का वरदान प्राप्त था।
वह हनुमान जी के मंदिर और आश्रम खोलने के लिए घर से वर्ष 1962 में घर से नि कल पडे थे। अचानक नैनीताल के कैंची गांव जा पहुंचे। कैंची पूर्व से भी संतों की तपोस्थली रही है। जब बात जमीन लेने की आई तो बाबा बताते थे कि ‘हनुमान जी पर ही उन्होंने जमीन की व्यवस्था करने का जिम्मा डाल दिया’। बाबा को हनुमान जी से आदेश मिला कि ‘मेरे लिए मंदिर और आश्रम की जमीन के लिए चौधरी चरण सिंह से मिलो’। वह उस वक्त सुचेता मजूमदार (कृपलानी) (1963- 1967) मंत्रिमंडल में वह वन एवं कृषि मंत्री थे। अंबाला में पढीं सुचेता मूलतः बंगालिन थीं। यद्यपि वन विभाग की जमीन देने में आज की तरह कई कानूनी दिक्कतें थी, लेकिन तनिक भी अड़चन नहीं आई।
बाबा ने जितनी जमीन मांगी थी, उतनी जमीन का आदेश वन व कृषि मंत्री चरण सिंह ने कर दिया।
कैंची धाम में भव्य आश्रम और मंदिर तैयार हो गया। इसके उपरांत बाबा नीम करोरी से एक बार स्व. चरण सिंह की मुलाकात हुई। इस मुलाकात में बाबा ने कहा -‘चरण सिंह तुम जिस तरह सच्चाई के पथ पर चलकर ईमानदारी से राजनीति कर लोगों की सेवा कर रहे हो, तुम्हें हनुमान जी एक दिन भारत के प्रधानमंत्री बनाएंगे’। स्व चरण सिंह ने बाबा की इस बात को मजाक में लिया था, लेकिन 16 साल बाद 28 जुलाई 1979 को बाबा का बचन सत्य साबित हुआ।
बाबा अक्सर अपने भक्तों से कहते थे कि- ‘यह सब मैं नहीं कर रहा, मुझसे तो हनुमान जी जो कहते हैं वही मैं बोल देता हूं। स्व चरण सिंह को प्रधानमंत्री बनाने का जो आशीर्वाद है, वह हनुमान जी ने दिया है’।
संयोग देखिए स्व चरण सिंह कभी हनुमान जी के दर्शन करने मंदिर में नहीं जाते थे। वह अपने घर पर आर्य समाज पद्धति से हवन कराते थे। स्वामी दयानंद सरस्वती के प्रवचन सुनते थे। प्रसाद बांटते थे।

एक बार वृंदावन में उनकी पार्टी का सम्मेलन हुआ। पार्टी के सभी नेता बिहारी जी व अन्य मंदिरों के दर्शन करने गए लेकिन चरण सिंह बिहारी जी दर्शन करने नहीं गए और वृंदावन के गुरुकुल की व्यवस्थाओं में जानकारी लेने में ही रुचि लेते रहे।
पिछले दिनों वृंदावन के वरिष्ठ भाजपा नेता राधा कृष्ण पाठक ने यह बात जब सोशल मीडिया पर पोस्ट की तो मैंने अपने स्तर से कुछ और जानकारी संकलित की। श्री पाठक के पिता स्व. बनवारी लाल पाठक नीम करोरी बाबा के परम शिष्य रहे हैं।
बताते हैं एक बार फर्रुखाबाद के पास नीम करोरी बाबा को टीटी ने ट्रेन से उतार दिया। तीन दिन तक ट्रेन टस से मस नहीं हुई। जब बाबा को खोज कर लाया गया और ट्रेन में बिठाया गया तब ट्रेन आगे बढ़ी। तमाम इंजीनियर और रेलवे का मैकेनिक सिस्टम फेल हो गया था। शिष्य बाबा से जुड़े ऐसे तमाम चमत्कार बताते हैं।
आप जानते ही हैं कि स्व चरण सिंह आगरा कॉलेज में पढ़े थे और राजा मंडी के सामने हॉस्टल में रहा करते थे। उनकी एक बेटी सत्यवती की कागरौल (आगरा) में ससुराल रही। घर में रसोईया दलित और बेटियां गैर जाट परिवारों में ब्याहीं थीं। राजनीति में भी जाटों से ज्यादा दूसरी बिरादरी के नेताओं को आगे बढ़ाया फिर भी समकालीन नेता उन पर जातिवाद का ठप्पा लगाते रहे। भारत में राजनीति चीज ही ऐसी है…इति।

:- चंद्रप्रताप सिंह सिकरवार, वरिष्ठ पत्रकार