May 17, 2024

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विश्व संगीत कुम्भ का ऑनलाइन आयोजन 22 जुलाई से 30 अगस्त तक

मथुरा। तबले के देवता पद्मभूषण पण्डित सामता प्रसाद ‘गुदई महाराज’ जी के 101 वें जयन्ती वर्ष में 22 जुलाई से संगीतज्ञों का ऑनलाइन विश्वस्तरीय महाकुम्भ नित्य सायं 7 से 8 बजे तक सम्पन्न होगा, जिसमें विश्वविख्यात् कलाकार शिरकत करेंगे।
इस आयोजन की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए संयोजिका डॉ. रेनू जौहरी ने बताया कि “कुंभ मेले का वर्णन शास्त्रों में मिलता है। कहते हैं इस पर्व का संबंध समुद्र मंथन से रहा है। इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा भी है। इस पर्व का संबंध समुद्र मंथन के दौरान अंत में निकले अमृत कलश से जुड़ा है। देवता-असुर जब अमृत कलश को एक दूसरे से छीन रह थे, तब उसकी कुछ बूंदें धरती की तीन नदियों में गिरी थीं। जिन तीन नदियों में अमृत बूंदे गिरी थीं, वे हैं- गंगा, गोदावरी और क्षिप्रा. जहां ये बूंदें गिरी थीं, उस स्थान पर कुंभ का आयोजन होता है.

तीर्थराज प्रयाग के कुंभ का महत्व सर्वोपरि है। इस पावन भूमि में अर्धकुंभ, पूर्णकुंभ क्रमश: 6 छठवें और बारहवें वर्ष में पड़ते हैं किन्तु प्रतिवर्ष 40 दिन का माघ मेला लगता है। तंबुओं की नगरी बसती है व ज्ञान चर्चा में यज्ञ, भजन, पूजन, स्नान, दान से यह पवित्र तीर्थ स्थल सराबोर रहता है।
उन्होंने कहा कि तबले के देवता पद्मभूषण पं० सामता प्रसाद उर्फ गुदई महाराज जी के अमृतोपम तबला नाद की बूंदें भी सार्वजनिक रूप से सर्वप्रथम तीर्थराज प्रयाग की ही धरती पर गिरीं। महाराज जी का सर्वप्रथम सार्वजनिक बड़ा कार्यक्रम इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 1943 – 44 में एक संगीत सम्मेलन में हुआ था।इस सम्मेलन में उ० अब्दुल अजीज खां, उ० इनायत खां, उ० अलाउद्दीन खां, उ० हाफ़िज़ अली खां, उ० करीम खां जैसे उच्च कोटि के कलाकार आये थे। उस समय महाराज जी 24 वर्ष की आयु के अत्यंत युवा कलाकार थे व तब तक उनकी प्रसिद्धि बनारस के बाहर तक पहुंच भी नहीं पाई होगी। इस सम्मेलन में उन्हें 50 ₹ प्रतिदिन के हिसाब से तीन दिनों के लिए बुक किया गया था। सम्मेलन में इतने वरिष्ठ कलाकार आए हुए थे कि पहले दिन किसी भी कलाकार ने उन्हें अपने साथ संगति हेतु नहीं बिठाया। उदार प्रकृति के संत कलाकार उस्ताद अलाउद्दीन खां ने दूसरे दिन अपने साथ बजवाया। युवा ताबलिक सामता प्रसाद जी को तो बस अवसर मिलने भर की देर थी। उन्होंने बाबा के साथ खूब जमकर बजाया, अपनी साधना सिक्त समूची प्रतिभा उड़ेल दी। उदारमना बाबा ने भी उन्हें बजाने का भरपूर अवसर दिया। काफी देर तक चले इस बेहतरीन कार्यक्रम के संपन्न होने पर चारों तरफ युवा कलाकार सामता प्रसाद जी का ही नाम था। फिर तो दूसरे कलाकार भी आग्रह करने लगे। महाराज जी ने उनके साथ भी बजाया। फिर उन्होंने जीवन में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्हें इस कार्यक्रम में ₹ 100 इनाम भी मिला था। फिर तो वह बहुत बार इलाहाबाद आये।

इलाहाबाद में तो यह नारा गूंज उठा था – No Gudai Maharaj No Concert.
ट्रस्ट के परामर्शदाता संगीत-मनीषी डॉ. राजेन्द्र कृष्ण अग्रवाल ने बताया कि उसी तीर्थराज प्रयाग की पावन भूमि पर पद्मभूषण पं० सामता प्रसाद उर्फ गुदई महाराज जी की 101 वीं जयंती के उपलक्ष्य में – पद्मभूषण पं० सामता प्रसाद ट्रस्ट ऑफ तबला, प्रयागराज के तत्वावधान में 40 दिवसीय “विश्व संगीत कुम्भ” महापर्व का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ट्रस्ट के सूक्ष्म संरक्षक पण्डित कुमार लाल मिश्र जी के आशीर्वाद से सिंचित ट्रस्ट ने इस हेतु एक समिति गठित की है, जिसमें ट्रस्ट की वर्तमान संरक्षक डॉ. शशि भारद्वाज, ट्रस्ट की सचिव डॉ. रेनू जौहरी संयोजिका, परामर्शदाता डॉ. राजेन्द्र कृष्ण अग्रवाल ‘रजक’ (वे स्वयं) और पर्यवेक्षक प्रो. पंकजमाला शर्मा रखे गए हैं। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि यह महाआयोजन दिनांक 22 जुलाई 2020 से प्रारंभ होकर 30 अगस्त 2020 तक प्रतिदिन सायं काल 7:00 से 8:00 बजे तक 40 दिनों तक – अविरल, अविराम, निरन्तर चलेगा।

आयोजन समिति के सभी सदस्यों ने देश-विदेश में रह रहे भारतीय संगीत-रसिकों से इस विश्व संगीत कुंभ में किसी भी रूप में (श्रोता, कलाकार, पत्रकार इत्यादि के रूप में) जुड़कर संगीत की गंगा में अवगाहन करने और पद्मभूषण पं० सामता प्रसाद जी को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि प्रेषित करने का आग्रह किया है।
जय गुदई महाराज!