यह बात आज से दो वर्ष पूर्व की है, साउथ कोरिया की राजधानी सियोल की हैन नदी के किनारे जहां मैं खड़ा हूं, वह इस शहर के कचड़े का बनाया टापू नुमा हरा भरा सुन्दर पार्क है। वर्ष 97 में सियोल के सारे कचड़े को इस जगह डालकर ये सुंदर पार्क बनाया गया था। इसे TAPGOL PARK नाम दिया गया। इसमें अंदर पाइपों से पानी उड़ेल कर पहले गैस बनायी जाती है फिर उस गैस से बिजली बनती है। कहने का आशय कूड़े से कचरा निस्तारण, गैस व बिजली उत्पादन और घूमने के लिए पार्क समेत चार उपयोग हो रहे हैं।
साउथ कोरिया विश्व के कई देशों के लिए अपनी उच्च तकनीक से शिप और पनडुब्बी भी बनाता है। यूएसए, फ्रांस, जर्मनी जैसे विकसित देश भी शिप, पनडुब्बी बनवाने के लिए साउथ कोरिया पर निर्भर हैं।
सियोल से 300 किमी दूर GEOJE के पास समुद्र में इंडियन डेलीगेशन को पनडुब्बी दिखाने ले जाया गया था। मैंने देखा कि वहां समुद्र में छोटे- बड़े पानी के तमाम जहाज बन रहे थे। समुद्र का वह हिस्सा चारों ओर से छोटी पहाड़ियों से घिरा है। इस कारण पानी हिलोर नही मारता और निर्माण चलता रहता है। साथ ही शिप व पनडुब्बी सुरक्षित रहते हैं ।
मोदी जी भी साउथ कोरिया की अपनी पहली विजिट में यहां पनडुब्बी निर्माण देखने पहुंचे थे। वहां के म्यूजियम में मोदी जी का पनडुब्बी देखते हुए बड़ा फोटो लगा था। उसे हमें इंगित कर दिखाया गया था।
हम 500 किमी स्पीड से दौडने वाली सुपर फास्ट ट्रेन से वहां पहुंचे थे। इस देश में चारों ओर पहाड़ियां हैं। उन्हे काट-काट कर सैकड़ों टनल (सुरंग) बनायी गयी हैं। सौ किमी लंबे रेल या सड़क मार्ग पर कम से कम पचास सुरंग मिल जाएंगी। समुद्र में 500 मीटर नीचे टनल में से हमें GEOJE ले जाया गया। हमें पता ही नही चला कि हम पानी में इतने नीचे चल रहे हैं…..
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