संभल/चन्दौसी : कोरोना के डर से लोग सैनिटाइजर का उपयोग ज्यादा कर रहे हैं। इस कारण हाथ की त्वचा रूखी पड़ रही है। इसी तरह साबुन से बार-बार हाथ धोने की वजह से भी हाथ की त्वचा रूखी हो रही है। ऐसे लोग भी मिल रहे हैं जो घर में रहकर भी बार-बार हाथ धो रहे हैं या सैनिटाइजर का उपयोग कर रहे हैं, जबकि शारीरिक दूरी के साथ घर में रहते हुए यह सब अधिक आवृत्ति में करने की जरूरत नहीं है। इसके अलावा एन-95 मॉस्क लगाने की वजह से मास्क के घेरे में त्वचा संबंधी दिक्कतें भी देखने को मिल रही हैं। जानें क्या कहते है जीव विज्ञान के अध्यापक विशाल शर्मा। इन सबके बीच गर्मी में ज्यादा पसीना आने या पसीना नहीं आने से भी कई तरह की दिक्कतें त्वचा में हो सकती हैं। कम तापमान से अचानक तेज गर्मी में आने से पसीना निकालने वाले छिद्र खुल नहीं पाते, जिससे पसीना शरीर के अंदर ही रुक जाता है। ऐसे में बैक्टीरियल इंफेक्शन होने से पकी हुई फुंसियां होने लगती हैं। शरीर में जहां अत्यधिक पसीना बनता है, वहां लगातार नमी बनी रहने की वजह से फंगल इंफेक्शन देखने को मिल रहा है। घर में सुरक्षित रहते हुए बार-बार सेनिटाइजर से हाथ साफ न करें। साफ पानी से नहाएं। त्वचा के हिसाब से उचित साबुन का इस्तेमाल करें। हाथों का रूखापन दूर करने के लिए रात में पेट्रोलियम जेली, नारियल का तेल या गुलाबजल जरूर लगाएं। समय-समय पर मास्क हटाकर चेहरे की त्वचा को साफ करते रहें, ताकि पसीना व बैक्टीरिया जमा न होने पाएं।
कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि हैंड सैनिटाइजर में एल्कोहल की मात्रा अधिक होने से यह वायरस को मारने में सक्षम है। हालांकि बाद में कई अध्ययनों इसके अत्यधिक प्रयोग के दुष्प्रभाव भी सामने आए हैं। पाया गया है कि सैनिटाइजर के ज्यादा प्रयोग से हाथों में रूखापन, खुजली और कई अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
सीएसआइआर-इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च के डॉ. आलोक धवन ने कहा, ‘हैंड सैनिटाइजर का संभलकर प्रयोग किया जाना चाहिए। जब साबुन और पानी उपलब्ध नहीं हो, तभी इसका प्रयोग करें। दो-तीन मिलीलीटर सैनिटाइजर के प्रयोग से कोई नुकसान नहीं होता है, लेकिन हर 20 मिनट में सैनिटाइजर का प्रयोग करते रहना सही नहीं हैं। किसी भी वस्तु का बहुत अधिक प्रयोग बुरा प्रभाव डालता है।
ध्यान देने योग्य
दरवाजे के हत्थे और किसी भी तरह के कागज को हाथ लगाने के पहले व बाद में हाथ साफ करना न भूलें। यदि कोई व्यक्ति संक्रमित है और खांसने व छींकने पर मुंह को नहीं ढक रहा तो यह वायरस छह फीट तक जा सकता है। ऐसा भी संभव है कि किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने व छींकने के बाद सतह पर यह वायरस है तो दस मिनट से लेकर एक या दो घंटे तक यह संक्रमित कर सकता है।
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